पहली बात तो ये समझने की है कि राहुल गांधी आज कल वोट चोरी की बातें क्यों कर रहे हैं. असल में इसका Election Commission से कोई मतलब नहीं है. ये सवाल तो राहुल गांधी के political survival से जुड़ा है. राहुल गांधी अपनी पार्टी को ये जताना चाहते हैं कि कांग्रेस की बार-बार हार के लिए वो कतई ज़िम्मेदार नहीं हैं. कांग्रेस को तो वोट चोरी ने हराया. वो जानते हैं कि जिस दिन पार्टी को ये लगेगा कि राहुल गांधी चुनाव नहीं जिता सकते तो पार्टी के नेता उस leader की तलाश में जुट जाएंगे जो उन्हें चुनाव जिता सकता है. चुनाव हराने वाले को कोई leader नहीं मानता. इसीलिए पहली बार 2014 में राहुल ने हार के लिए अपनी पार्टी की कमज़ोरियों को ज़िम्मेदार ठहराया था. अगली बार हार के बाद उन्होंने कहा कि मोदी ED, CBI और Income Tax की मदद से चुनाव जीतते हैं. इसके बाद राहुल गांधी ने अपनी हार के लिए EVM को दोषी बताया था. अब वो चुनाव आयोग को blame कर रहे हैं. Problem ये है कि लोकसभा में मोदी की 240 सीटों से कांग्रेस को जो उम्मीद बंधी थी उसे महाराष्ट्र और हरियाणा की हार ने तोड़ दिया. अब अगर बिहार भी हार गए तो फिर leadership पर सवाल उठेंगे. इसीलिए इस वक्त उनका ये कहना ज़रूरी है कि वो नहीं हारते उन्हें तो कोई हरवा देता है. कभी अपनी पार्टी तो कभी EVM तो कभी Election Commission. लेकिन लोग पूछ रहे हैं 'तू इधर-उधर की न बात कर, ये बता काफिला क्यों लुटा? मुझे रहज़नों से गिला नहीं, तिरी रहबरी का सवाल है'
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