स्वस्ति प्रजाभ्यः परिपालयन्तां न्याय्येन मार्गेण महीं महीशाः। गोब्राह्मणेभ्यः शुभमस्तु नित्यं लोकाः समस्ताः सुखिनो भवन्तु॥ #BrahmanVadi #Manuvadi

Joined July 2017
🌸 दीपावली पर सेलेक्टिव प्रदूषण ज्ञान देने वालों के लिए एक उत्तर 🌸 हर साल दीपावली आते ही वही पुराना प्रोपेगेंडा शुरू हो जाता है — “पटाखे मत फोड़ो, प्रदूषण होता है”, “जल बचाओ”, “दीपों का त्यौहार है, बारूद का नहीं।” सवाल है — ये अचानक जागे हुए पर्यावरणप्रेमी बाकी 364 दिन कहाँ सोए रहते हैं? ईद पर लाखों जानवरों की कुर्बानी होती है, क्रिसमस पर शहरों की सड़कों को बिजली की लाइटिंग से ढँक दिया जाता है, न्यू ईयर पर शराब, डीजे और आतिशबाज़ी का तांडव चलता है, तब किसी को प्रदूषण याद नहीं आता! पर दीपावली की रात आते ही— “पटाखे मत जलाओ” ब्रिगेड सक्रिय हो जाती है। तथ्य देखें — बिना भावना, केवल आंकड़ों से: कारणप्रतिशत योगदान 🚗 वाहन उत्सर्जन40% 🏭 औद्योगिक धुआँ25% 🏗 निर्माण कार्यों की धूल20% 🔥 पराली जलाना10% 💥 पटाखे (1–2 दिन)<1% सालभर चलने वाले करोड़ों वाहनों, फैक्ट्रियों, बिल्डिंगों और खेतों से जो धुआँ उठता है, वह प्रदूषण नहीं कहलाता, पर एक दिन हिन्दू दीप जलाए, तो पृथ्वी “खतरे में” आ जाती है! यह “पर्यावरण चिंता” नहीं, बल्कि हिन्दू त्यौहारों के विरुद्ध चुनिंदा मानसिक प्रदूषण है। 🪔 दीप और पटाखे क्यों जलाए जाते हैं? जो लोग ज्ञान झाड़ते हैं — “शास्त्रों में कहाँ लिखा है कि पटाखे जलाने चाहिए?” उन्हें ज़रा यह श्लोक पढ़ना चाहिए 👇 > दीपदानं ततः कुर्यात् प्रदोषे च तथोल्मुकम्। अर्थ: दीपदान करने के बाद प्रदोषकाल (सन्ध्या) में उल्का (आकाश से गिरने वाले अग्निस्फुलिंग) के समान प्रकाश उत्पन्न करने वाला पदार्थ जलाना चाहिए। यानी शास्त्र स्वयं कहते हैं कि केवल दीप जलाकर नहीं रुकना चाहिए, बल्कि प्रदोषकाल में तेज उत्पन्न करने वाले, उल्का समान प्रकाश देने वाले पदार्थ को जलाना चाहिए — और यही आज के युग में पटाखों के रूप में प्रकट हुआ स्वरूप है। पटाखे आकाश में प्रकाश फैलाते हैं, तमस को दूर करते हैं, ध्वनि से वातावरण को जाग्रत करते हैं — यही “उल्मुक” का तात्पर्य है। जो लोग कहते हैं — “वेदों में पटाखों का उल्लेख नहीं है”, उनसे कहो — वेदों में सिद्धांत लिखा है, उस सिद्धांत का आधुनिक रूप पटाखा है। वेदों ने “प्रकाश और नाद” का आदेश दिया है — माध्यम युग बदल सकता है, पर भाव वही सनातन है — अंधकार को भेदना।
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संविधान पढा था ,अच्छा नही लगा। फिर क्रिकेट खेलने लगा, वहां से रिटायर्ड होने के बाद अब भक्ति करने लग गया हैं।
उमेश यादव को हिंदू राष्ट्र पर डॉ. आंबेडकर के विचार को पढ़ना चाहिए- "अगर हिंदू राष्ट्र बन जाता है तो बेशक इस देश के लिए एक भारी ख़तरा उत्पन्न हो जाएगा. हिंदू कुछ भी कहें, पर हिंदुत्व स्वतंत्रता, बराबरी और भाईचारे के लिए एक ख़तरा है. हिंदू राज को हर क़ीमत पर रोका जाना चाहिए..." @y_umesh
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सवाल ये भी उठता है कि आखिर अंबेडकर जिन्ना का समर्थन क्यों करते थे? जवाब सीधा है। मेरा मानना है कि अंबेडकर जिन्ना का समर्थन इसलिए करते थे क्योंकि जिन्ना हिंदू धर्म को खत्म करने का अभियान चला रहे थे, और अंबेडकर ने हर मौके पर जिन्ना का साथ दिया, जबकि जिन्ना ने भी हर मौके पर अंबेडकर का साथ दिया। दोनों मिलकर हिंदू धर्म और भारत को कमजोर कर रहे थे, और इसीलिए वे दोनों अंग्रेजों के "लाडले" थे। 1946 में जब कैबिनेट मिशन के बाद भारत के संविधान निर्माण की बात आई, तो एक विरोधाभासी स्थिति देखने को मिली। डॉ. बी.आर. अंबेडकर, जो आज संविधान निर्माता के रूप में जाने जाते हैं, उस समय जिन्ना के साथ खड़े होकर संविधान निर्माण का विरोध कर रहे थे। जिन्ना ने कांग्रेस पर "हिंदू राज" थोपने का आरोप लगाया और संविधान निर्माण का पुरजोर विरोध किया। अंबेडकर ने तब उनका खुलकर साथ दिया और स्पष्ट शब्दों में कहा, "कांग्रेस मूलतः एक हिंदू संगठन है… मुसलमानों को हिंदू बहुसंख्यकवाद से डरने का पूरा कारण है।" ऐसे में, जो व्यक्ति जिन्ना के साथ खड़े होकर भारत के संविधान निर्माण का विरोध कर रहा हो, जिसने खुद यह कहा हो कि वह संविधान सभा में एक "बंधुआ मजदूर" की तरह था, और जिसने यहाँ तक कहा हो कि "जो मैंने किया या बोला वो सब मेरी इच्छा के विरुद्ध था और यदि कभी ये संविधान को समाप्त किया गया तो मुझे कोई दुःख नहीं होगा, और जब भी अवसर मिलेगा इस संविधान को जलाने का मैं पहला व्यक्ति होऊंगा," ऐसे व्यक्ति को संविधान निर्माता कैसे बताया जा सकता है? इन तथ्यों से स्पष्ट हो जाता है कि अंबेडकर ने संविधान के निर्माण में जो भी थोड़ी बहुत राजनीतिक भूमिका अदा की थी वो पूरी तरह से पूर्वाग्रह और से ग्रसित थी। उनके भीतर कहीं से भी भारत के उत्थान की भावना नहीं थई। न तो वो देश के लोगों को समझते थे न ही यहां के धर्मों को। वो मात्र देश को तोड़ने की रणनीति पर काम कर रहे थे। अंबेडकर के इन विचारों के सामने आने के बाद यह प्रश्न और भी महत्वपूर्ण हो जाता है उन्हें कब तक संविधान निर्माता माना जाता रहेगा? भारत 2025 में अपने संविधान के 75 वर्ष पूरे होने का महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार करने जा रहा है। अब समय आ गया है कि इस भूल को सुधारा जाए। जो राजनीतिक नेतृत्व इतने सालों तक अपनी गलती नहीं सुधार पाया उसे मौजूदा देश के लोग करें। इस ऐतिहासिक मोड़ पर, यह अत्यंत आवश्यक है कि बेनेगल नरसिंह राउ को वह उचित सम्मान और पहचान मिले जो उनका वास्तविक हक है। उनकी सादगी, प्रसिद्धि से दूर रहने की प्रवृत्ति और निस्वार्थ सेवा ने उन्हें लंबे समय तक सार्वजनिक विमर्श से दूर रखा और वे गुमनाम रह गए। परंतु अब समय आ गया है कि भारत अपने इस सच्चे नायक को याद करे, जिसके बौद्धिक श्रम ने इस विशाल लोकतंत्र की नींव रखी।
यहाँ जैकी मियाँ कहना चाह रियो हैं के — यदि जाना ही था तो मेरे जैसे असली साधु-संतों के पास जाते, जैसे मैं समाजवादी साधुओं के पास जाकर जातिवादी शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त करता हूँ। हिन्दू राष्ट्र की माँग करने वाले साधुओं के पास क्यों गए? वह भी भारत में! पाकिस्तान या बांग्लादेश होता तो तब भी चल जाता।
क्या आपने उमेश यादव को कभी किसी साइंटिस्ट के पास बैठा देखा है? क्या आपने शिखर धवन को कभी किसी रिसर्चर के पास बैठा देखा है? सीधा सा जवाब है कि आपने ऐसा नहीं देखा होगा मगर आज यह दोनों क्रिकेटर उमेश यादव और शिखर धवन धीरेन्द्र शास्त्री के साथ बैठे हुए हैं। अगर इन्हें जाना ही था तो किसी असली आध्यात्मिक संत के पास जाते जहाँ इन्हें कोई तो शास्त्र और आध्यात्म का सच्चा ज्ञान मिलता।
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🚨सनातनी प्रमोशन🚨 200 फॉलोवर्स इंस्ट्रक्शन फॉलो करने से बढ़ते 1 Rt करके अपनी 🆔 Reply में मेंशन करे 2 Rt & Reply List खोलकर आपस में फॉलो करें Follow Must👉 @TheBahubali_IND नोट:Follow & Notification On केवल पोस्ट पर एक्टिव सनातनी 🆔 प्रमोट होंगे कांग्रेसी- नमाजी दूर रहे 😎
इनका मतलब "गोतम" नाम घी से पड़ा और "बुद्धत्व" दूध उबालते उबालते आ गया होगा। 😃 और अगला शोध आएगा कि "महामाया" दरअसल मायोनेज से आई थी ।🤣
SHOCKING UPDATE 🚨 जब तथागत बुद्ध थे, संस्कृति भाषा नही थी. संस्कृत भाषा के सब्दों से बने सिद्धार्थ और उनकी पत्नी का नाम यशोधरा डुप्लीकेट नाम है. बुद्ध का असली नाम GOTAM था. उनकी पत्नी का नाम कच्चाना था. गोतम में डुप्लीकेट नाम सिद्धार्थ बहुत बाद में जोड़ा गया. गोतम बुद्ध की मां कोल गण थीं. उनका नाम लुमिनी था. इतिहासकारों ने डुप्लीकेट नाम महामाया बताया. संथाली मुंडेरी और हो जैसी भाषा कोलों की है. इन सभी भाषाओं में घी का अर्थ गोतम है. दूध दही और घी पर नामकरण करने की परंपरा पहले से थी. अपना प्राचीन इतिहास हमें खुद लिखना होगा.
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राधा कृष्ण का प्रेम अटूट और निस्वार्थ है ऐसा प्रेम आजकल कही देखने को नहीं मिलता । जय श्री कृष्णा 🚩 जय राधा माधव 🙏
हमारा धर्म राजनीति नहीं, भक्ति है — और हमारे लिए “राजा” सिर्फ़ भोलेनाथ हैं 🚩 जय श्री महाकाल! 🚩 हर हर महादेव! 🚩 जय शिव शम्भो! 🚩ॐ नमः शिवाय!
देख लो — पढ़ाई-लिखाई और सच्चाई से इनका रिश्ता कितना दूर है, और बढ़ाओ आरक्षण... ऐसे ही गंवारों की फसल तैयार होगी। शिखर धवन पिछले 15 सालों से मुंबई वेस्ट, विले पार्ले स्थित सन्यास आश्रम मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं —ये बात व्यक्तिगत तो मैं ही जानता हूं । अर्थात् उनमें आध्यात्म और धर्म की भावना पहले से है। लेकिन इन नील कबूतरों को कौन समझाए... 🤦‍♂️
इनके घर जैसे ही ई डी का छापा पड़ा वैसे ही हिंदू राष्ट्र बचाने निकल पड़े @SDhawan25 🤣🤣
ये भिमटे तो हमेशा ऐसा क्यों सोचते हैं कि जो भी दंगा–फसाद ये करें वो “शांतिपूर्ण प्रदर्शन” कहलाए? 😏 लगता है कल ज़रा असली शांति का अनुभव करा दिया गया है 🤣
दतिया के साथी ध्यान दे। शांति बनाए रखे।
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Mslm and Chrs are already taking OBC/ST reservations and can even misuse the SC/ST Act against GC Hindus. But have you ever seen any outrage from OBC/SC/ST communities questioning why Mslm and Chrs are part of OBC/ST reservations? No. Similarly, SC Hindus who converted to Neo-Buddhism or Sikhism are still eligible for SC reservation, which means even non practicing Hinduism like Neo-Buddhists and Sikhs can use the same draconian Act against GC Hindus. Yet, have you ever seen any protest from OBC/SC/ST Hindus against this? No. Now, just imagine what happens if Mslm and Chrs are also added to the SC list. Then SC reservations, which were meant to be caste-based will include Mslm, Chrs, Neo-Buddhists, and Sikhs, all enjoying the same benefits. And as always, only GC Hindus will be left to suffer, while others will stay silent because you were never concerned about your own existence. You'll face false cases under draconian laws from those very groups and be thrown into jail, while they get hefty compensations. Your children will lose college seats and job opportunities. #GCConsciousness
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SC/ST act filed by ST muslims on General category muslims, for speaking against reservation!! Reservation ne kya kya din dikha diye!!!
Today GBSA legal team led by our President @Sakib__ch filed a complaint against @Junaid_Mattu in Police Station Rajouri under SC/ST atrocities for using hateful language against reserved categories and calling it a cancer etc
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डॉ अंबेडकर नहीं चाहते थे कि आदिवासियों और जरायमपेशा जातियों (Criminal tribes) को वोट डालने का भी अधिकार मिले ~ अंबेडकरियों को सच्चाई पता नहीं है इसलिए कुछ लोग अंबेडकर के भक्त और अंधभक्त बने फिर रहे हैं। और दिन रात झूठ बोल बोल कर लोगों को गुमराह कर रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि अंबेडकर आदिवासियों और जरायमपेशा जातियों को वोट डालने का अधिकार नहीं देने पक्ष में थे। साइमन कमीशन सबको वोट का अधिकार देने के पक्ष में था जबकि डॉ अंबेडकर ने आदिवासियों और जरायमपेशा जातियों को वोट का अधिकार देने से मना कर दिया था। अगर ये लोग खासतौर पर चमार, आदिवासी, अहीर मीणा आदि डॉ अंबेडकर को ढंग से पढ़ लें और सच्चाई को जान लें तो इनकी अंधभक्ति का नशा एक झटके में उतर जाएगा। डॉ अंबेडकर की सच्चाई सबूतों के साथ पढ़ो…… भारतीय सांविधिक आयोग के समक्ष 23 अक्तूबर, 1928 को डॉ. अम्बेडकर का साक्ष्य~ पेज नंबर 174 वॉल्यूम नंबर 4 संपूर्ण बांग्मय डॉ अंबेडकर 19. कर्नल लेन फौक्स - जो दो ज्ञापन हमें मिले हैं, वे किन आंकड़ों पर आधारित हैं? प्रत्येक ज्ञापन में आपने दलितों के लिए विशेष प्रतिनिधित्व मांगा है। एक ज्ञापन में आप वयस्क मताधिकार की मांग करते हैं और आपने सेना, नौसेना और अन्य नौकरियों में विशेष भर्ती की मांग की है। यदि आप यह आदिम जातियों और जरायम पेशा जातियों के लिए भी मांगते हैं, तो स्पष्टतः यह बहुत बड़ी बात है। यह सुविधाएं आपने बड़ी संख्या के लिए मांगी हैं या छोटी संख्या के लिए? डॉ. अम्बेडकर : मैंने यह दलित वर्गों के लिए मांगी हैं। 20. आदिम जातियों और जरायम पेशा जातियों के लिए भी? डॉ. अम्बेडकर : जी नहीं, मैं नहीं समझता कि उन्हें वयस्क मताधिकार देना संभव होगा। पेज नंबर 184 वॉल्यूम नंबर 4 संपूर्ण बांग्मय डॉ अंबेडकर "112. क्या आप उन्हें वयस्क मताधिकार नहीं देना चाहेंगे और उनके लिए मनोनयन की व्यवस्था और स्वयं वयस्क मताधिकार लेंगे? डॉ. अम्बेडकर : मैं एक बात कहूं। जरायम पेशा जातियों को वयस्क मताधिकार देना ठीक नहीं रहेगा,” जरायमपेशा जातियां निम्नलिखित थीं ~ चमार, जाट,गूजर,अहीर, मीणा, लोधी अहेरिया,बहेलिया,बदक,बेड़िया, बंजारा,बंसी भरवाड़,बावरिया, बेलदार, भर, बंटू भट्टी,बोरिया बृजवासी चमार चमार मांगता दलश कर दरगी,डोम, कंजर,कलंदर, फकीर, कपरिया, मंगिया, महावत, कर्बला केवट ,खटीक,,मदारी, महावत, मल्लाह, मेवाती, मंगिया, मुसहर, नट, पलवार दुसाध, परवल, पासी, फिगिया, भील, ढेनवर, कंजर, सांसी, बंजारा, मोगिया,पसिया, बैरागी, फकीर , धीवर बाजीगर, लखेरा, लोधा, मदारी, बागड़ी, घोसी, लोहार, मेरासी, सेनोरिया,सिकलीगर, सिख, आदि जातियों को क्रिमिनल ट्राइब घोषित किया हुआ था। अधिक जानकारी के लिए क्रिमिनल ट्राइब एक्ट 1871 को पढ़ें। Dr Ambedkar writings and speeches Volume 2 page 463,471 पर अंग्रेजी में पढ़ें। ये किताबें गूगल पर भी उपलब्ध हैं लिंक है ~ mea.gov.in/books-writings-of… दिनेश सिंघ एलएल.एम. नई दिल्ली
मुज़फ्फरनगर के बुढ़ाना की खबर है — एक छात्र उज्ज्वल राणा ने सिर्फ़ परीक्षा की फीस न भर पाने के कारण आत्महत्या कर ली। उसने प्रिंसिपल से समयावधि बढ़ाने की मोहलत मांगी थी, लेकिन प्रिंसिपल ने मना कर दिया। बस… वहीं से एक और सपना खत्म हो गया। कितनी बेरहम हो गई है ये व्यवस्था, जहाँ गरीबी नहीं, संवेदनहीनता जान ले रही है। 💔 #UjjwalRana #Muzaffarnagar
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तू ब्राह्मणवाद खत्म करेंगा? तेरे जैसे बहुत आए थे बेटा, तुम्हारे ही बाबा ढाबा ऐसे ही सपने देखकर आज नरक की यातनाएं भोग रहे हैं क्योंकि ब्राह्मणवाद कोई इमारत नहीं जो गिरा दो, ये सनातन की नींव है, जिसे मिटाने वाला खुद ही मिट जाता है
हम ब्राह्मणवाद को खत्म करके ही रहेंगे।
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Only Place where bhimtas can score 100% is while registering fake SC-ST Attrocity Case. #ScrapScStAct
⭕‼️⭕ To every Hindu 👉कल्कि आ चुके हैं👈 ‼️ KALKI YUDDH IS RELEASED ‼️                        🔱HEAR THE WAR EPOCH 🔱                         ‼️जय श्री राम‼️ WATCH NOW: 👇🕉️🙏 piped.video/P6QvaSgdlP4?si=spiE…
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@balliapolice @dgpup @Uppolice जिस राज्य का सनातनी सन्त नेतृत्व कर रहा हो वहां एक सन्त की अभिव्यक्ति की कोई स्वतन्त्रता नहीं हिन्दू धर्मगुरुओं का यह अपमान असहनीय है लेटर हेड में फर्जी बाबा जैसे अभद्र शब्दों का प्रयोग किया है। @myogiadityanath जी आपके होते सन्त पीड़ित हैं।
हमारे ही समाज के कुछ नीले तीतर और नवबौद्ध निलचट्टे दिन-रात देवी–देवताओं का अपमान करते हैं। उन्हें लगता है जैसे उनका कोई दूसरा देश है, कोई कुछ नहीं कहेगा! उल्टा झुंड बनाकर “गिरफ्तारी” और “कथित महापुरुषों के अपमान” के नाम पर अराजकता फैलाते हैं। बागेश्वर धाम सरकार की यात्रा में भी एक ऐसा ही “नीला कबूतर” बाधा डालने आया — पर भूल गया कि हिन्दू तब तक ही सहनशील है, जब तक सहिष्णु बना हुआ है। जब सीमा लांघी जाती है, तब हिन्दू का प्रतिकार कोई सह नहीं सकता। कानून के दुरुपयोग का भय दिखाकर यह मत सोचो कि तुम बच जाओगे — कानून किसी की बपौती नहीं है। यह देश भक्ति का द्योतक है, यहाँ नास्तिक और अधर्मी आज भी धूल के कण बराबर हैं, इसलिए भ्रम मत पालो।
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जय शनिदेव महाराज जी प्रभु सबका कल्याण करें 🙏