बिहार की चुनावी धरती पर इस बार एक अनोखा दृश्य दिखा। समाजवादी विचार की मशाल लिए अखिलेश यादव उतरें तो हवा का रंग ही बदल गया। न चुनाव लड़ रहे, न टिकट मांगा, बस तेजस्वी के हाथ को थामकर बिहार की लड़ाई को मजबूत किया। उनके ह्यूमर, राजनीतिक सूझबूझ और सामाजिक न्याय की स्पष्ट घोषणा ने बीजेपी के पूरे नैरेटिव को उलट दिया। अवध में रथ रोकने वालों ने मगध में भी रथ रोकने का भरोसा दिया। तेजस्वी के रोजगार वाले एजेंडे को शक्ति मिली और बिहार से देश तक बदलाव का संदेश निकला। यह चुनाव सिर्फ बिहार का नहीं, पूरे भारत की दिशा तय कर रहा है।