“ताज की कहानी सिर्फ इतिहास पर ही सवाल नहीं उठाती,
बल्कि उस सोच पर भी प्रश्न उठाती है,
जिसने हमें इतिहास को समझने और स्वीकारने का तरीका सिखाया।”
इस फ़िल्म में परेश रावल जी ने सिर्फ़ अभिनय नहीं किया —
उन्होंने विष्णु दास को जिया है।
एक साधारण आदमी,
जो सच की तलाश में खड़ा होता है,
और पूरी व्यवस्था उससे सवाल करने लगती है।
उनका संवाद, उनका दर्द, उनका संघर्ष —
सब कुछ इतना वास्तविक है कि
किसी क्षण ऐसा लगता है कि यह कहानी परदे पर नहीं,
हमारी अपनी ज़िन्दगी के बीच घट रही है।
कुछ किरदार दिल पर नहीं —
आत्मा पर छाप छोड़ते हैं।
विष्णु दास उन्हीं में से एक है।
@SirPareshRawal
@bookmyshow
📰 मेरा पूरा लेख पढ़ें: By Parshant Chohan
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