राजनीति में सब चलता है — कटाक्ष, आलोचना, आरोप-प्रत्यारोप — बिना इसके राजनीति सम्भव ही नहीं।
इसलिए किसी बात का बुरा मत मानिए, सब जानते हैं किस नेता में कितनी दम है।
एक गरीब किसान माँ की कोख से जन्मे और अपना पूरा जीवन दिन-दुखी, असहाय, जरूरतमंद, वंचित व शोषित लोगों की सेवा में समर्पित करने वाले — ऐसे साहसी जननायक हैं माननीय कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा जी।
लोग सत्ता के लिए जीते हैं,
पर किरोड़ी लाल मीणा जी वो शख्स हैं जिन्होंने वसुंधरा सरकार में मंत्री रहते हुए भी जनता के हक के लिए लड़कर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
जब उनकी धर्मपत्नी श्रीमती गोलमा देवी जी गहलोत सरकार में मंत्री थीं,
तब भी उन्होंने मंत्री पद पर रहते हुए आमजन की समस्याओं को लेकर धरना दिया।
दौसा में दिल्ली–बॉम्बे एक्सप्रेसवे पर किसानों के मुआवज़े की समस्या को लेकर,
मोदी सरकार में सांसद रहते हुए भी किसानों के हित में धरना दिया — ये है जनसेवा की सच्ची मिसाल।
आज भी, मंत्री पद पर होते हुए बिना आराम किए,
दिन-रात फील्ड में रहकर किसानों और आमजन को सुविधाएं दिलवा रहे हैं।
74 वर्ष की उम्र में भी रात 2 बजे तक कार्यवाहियां संभालने वाला यह योद्धा शायद ही कोई दूसरा हो।
राजस्थान के एकमात्र मंत्री हैं जो हर रोज़ 2 घंटे चाय की दुकान पर बैठकर आमजन की समस्याएँ सुनते हैं,
हर व्यक्ति से मिलते हैं और समाधान करते हैं।
यही हैं वो सच्चे जननायक, जो अन्याय के खिलाफ सबसे पहले खड़े नज़र आते हैं।
हर कोई किरोड़ी जैसा बनना चाहता है,
पर हर कोई किरोड़ी नहीं बन सकता —
क्योंकि उन्होंने अपने शरीर की हर हड्डी पर लाठियाँ खाई हैं, कई फ्रैक्चर झेले हैं,
और वो भी सिर्फ जनता के हक के लिए आंदोलनों में उतरकर।
यदि आंदोलनों की बात करें, तो
राजस्थान का कोई वर्तमान नेता किरोड़ी जी की आधी ऊँचाई तक भी नहीं पहुँचा।
यूँ ही कोई जननायक नहीं बनता —
इसके लिए चाहिए कठोर परिश्रम, त्याग और अडिग संकल्प।
किरोड़ी जी कल भी हीरा थे, आज भी हैं और कल भी रहेंगे।
आज लोग उन्हें ट्रोल कर सकते हैं,
पर जब संकट आता है,
तो सबसे पहले पहली पंक्ति में वही खड़े नज़र आते हैं।
जब जनता की हर जगह से उम्मीद टूट जाती है,
तब यही संकटमोचक बनकर सामने आते हैं।
Baba ❤️