कुरान के हिसाब से देखा जाए तो मुसलमानों का भारत में रहना भी इस्लाम के खिलाफ़ है। टौलाना साहब कभी कुरान 4/97 पर बात क्यों नहीं करते?
सुन्नत में मोहम्मद ने कहा: "मैं हर उस मुसलमान को अस्वीकार करता हूँ जो मुशरिकों के बीच बसता है।" इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है, 2645; अल-अल्बानी ने सहीह अबी दाऊद में इसे सहीह कहा है।
दोगला मौलाना कभी इस पर नहीं भौंकेगा क्या? तुम्हारे लिए हर वो चीज जो इस देश के सम्मान से जुडी है उसका पालन करना हराम ही रहा है।
पाकिस्तान और फिलिस्तीन की जयकार करने से इस्लाम खतरे में नहीं आता, वंदे मातरम् से ही आता है बस। जब अधूरा वंदे मातरम् था तब क्या विरोध नहीं किया तुम लोगों ने? गीत छोडो नारा तक लगाना हराम बता दिया। सुधर जा लांडे।
वंदे मातरम को लेकर प्रधानमंत्री का बयान भ्रामक, स्कूलों में इसे अनिवार्य करना मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है, वंदे मातरम की शेष चार पंक्तियों में मातृभूमि को देवी के रूप में पूजने का उल्लेख है, जो इस्लामी आस्था के विरुद्ध है।