आदि अनादि, सृष्टि के आधार,
महाकाल रूप, त्रिलोक विस्तार।
डमरू की नाद में ब्रह्म का स्वर,
जटा से बहता पवित्र जलधर।
योग के जनक, समाधि के अधिपति,
वैराग्य में भी प्रेम के हितैषी।
नागों के भूषण, गले में विष धारण,
करुणा से भरपूर, विनाश के कारण।
हर श्वास में “ॐ नमः शिवाय” की गूंज,
शिव में ही आरंभ, शिव में ही पूर्ण ।।
Har har Mahadev 🔱🚩