फ़िल्में ना के बराबर देखता हूँ।जिन फ़िल्मों में गीत-संवाद रचे उन तक को बहुत बाद में देखा। पर कल रात
@AdityaDharFilms की बारामूला देखी।डर, जुगुप्सा, ग्लानि व सात्विक क्रोध के ज्वार-भाटे में डूब कर।आँख भर-भर आई।दो बार फ़िल्म पॉज़ करनी पड़ी। शिंड्लर्स-लिस्ट देखते वक़्त जो दर्द दूर से अनुभव किया था वो बहुत पास, अपना व ख़ुद के अंदर गहरे उतरा हुआ सा लगा। कश्मीर से वहाँ के मूल व प्रामाणिक नागरिकों का हिंसा व तुष्टिकरण के प्रहार से पलायन, हमारी साझी निर्लज्ज अकर्मण्यता का दारुण स्मारक है।राजनैतिक दलों की रीढ़विहीन बँधुआगिरी के फेर में लोग अक्सर भारतीय इतिहास के इस त्रासद प्रसंग व मासूम-भोले कश्मीरी पंडितों के आँसुओं में डूबे सवालों से मुँह छुपाते फिरते हैं।मानव कौल तो अपने अभिनय से सदैव प्रभावित करते ही हैं किंतु इस फ़िल्म में
@bhashasumbli ने अपने सधे और सहज अभिनय से सदी की इस करुण त्रासदी को ऐतिहासिक जीवन्तता से भर दिया है।एक अग्निधर्मा कवि की दुहिता होने के नाते भाषा की यह सफलता हमारे लिए निजी व पारिवारिक गर्व का हेतु भी है।भारत को ऐसी बहुत सारी फिल्में चाहिए जो बेशर्म राजनैतिक मेकअप के नीचे छुपाए गए समय के अभी तक रिसते घावों को सैलूलाईड का सार्थक आईना दिखाते रहें 🇮🇳😢👍