क्या ये महाशय हिंदुओं के ठेकेदार हैं ? क्या हिन्दू समाज इनकी ठेकेदारी के अंतर्गत संचालित हो रहा है ?? एक तरफ़ देवता स्वरूप स्वामी प्रेमानंद महाराज जी हैं जिनके कंठ से कभी किसी भी धर्म के मानने वाले के विरुद्ध अपमान जनक शब्द नहीं निकलते हैं वहीं दूसरी तरफ़ ये भगवा चोले में असुर/राक्षस प्रवृत्ति का दानव यति नरसिंहानंद खुद को महामंडलेश्वर बताता है और लगातार धर्म विशेष के विरुद्ध ज़हर और नफ़रत की आग उगलता रहता है ।
इसके विरुद्ध कई बार FIR की जा चुकी है लेकिन देश/भारत का कानून कई मामलों में बहुत लचीला है जिसके चलते इसकी ज़मानत हो जाती है और ये उसी का फायदा उठा रहा है।
मुझे याद है किसी ज़माने में इसी की प्रवृत्ति के जैसे एक और महाशय थे उनका नाम प्रवीण भाई तोगड़िया था, उस समय वो विश्व हिंदू परिषद और भाजपा के दुलारे थे उनका भी यही काम था सिर्फ एक वर्ग के विरुद्ध नफ़रत की भाषा बोलना और एक राजनीतिक पार्टी का एजेंडा पूरा करना लेकिन आज का समय है प्रवीण भाई तोगड़िया फिल्म से गायब हो चुके हैं उनका जितना इस्तेमाल किया जाना था वो कर लिया गया और उन्हें साइड कर दिया गया अब उनकी पूछ भी नहीं होती है कहीं वही हाल इस पाखंडी का होना है इसका भी इस्तेमाल किया जा रहा और इसको भी कुछ समय बाद कोई पूछने वाला नहीं रहेगा ।
खैर मेरा विश्वास प्रेम में है मैं अभी भी पूरे विश्वास से कहता हूं कि भारत में नफ़रत की राजनीति चाहे कितनी भी हो लेकिन एक सच्चे भारतीय के दिल में सदैव प्रेम की ज्वाला जलती रहेगी और सभी वर्गों का सम्मान होता रहेगा, यही सच्चा और अच्छा भारत है ।
मुझे दुनिया के सारे मुसलमानों से परेशानी हैं, ये मानवता के कैंसर हैं : यति नरसिंहानंद गिरी, महामंडलेश्वर